ये आँखेंसब देखती हैक़सूर क्या इनका हैमन का शीशा हैजो बिखरा हुआ है कौन सी बातें हैंजो कहें हमजो अछी लगेंशब्दों का ज़ायक़ाकुछ बिगड़ा हुआ है सारा जहां ज़हन में हैक्यूँ फ़िज़ूलजमाने से ख़फ़ा हैंमन का चश्मा हैजो ज़रा पोशिदा है
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Social Distancing
शायद मुमकिन नहींफिर भी कोशिश कर लेता हैये दिल, समझता ही नहीं है मर्ज़ ऐसा हैकी दूरी हैदिलों की करीबी कुछ कम तो नहीं दूर होफिर भी तुम्हारा साथ हैये भी कुछ कम तो नहीं है
Bouquet of Life
ये ज़िंदगी क्या है पलों का गुलदस्ता हसीन पल तुम्हारे साथ गुज़रे लो ज़िंदगी हो गयी
Melting Boundaries (Pighalte Dayre)
कुछ दायरेकुछ रस्मों रिवाजमेरी हदें तय किया करती हैं मेरा वजूदमेरा मज़हबमेरी पहचान बताया करती हैं मुझे कहाँ जाना हैमुझे क्या करना हैअक्सर ये बयान करती हैं किनारों में रहकर महफ़ूज़ रहा हूँमुक़र्रर मंज़िल की तरफ़ लाचार बहता रहा हूँअपनी पहचान भूल, खारा हो गया हूँ समंदर मेरी मंज़िल नहींमैं कोई दरिया भी नहींमैं तोContinue reading “Melting Boundaries (Pighalte Dayre)”
Khali haath aaye the, Khali haath jayenge
कौनसा पिटारा लेके जाओगे क्या क्या पसंद आया है कितनी लम्बी उम्र है उसमें कितनी ज़िंदगी है समेटने में उम्र गुज़ारी है इन संदूक़ों का क्या होगा बहुत भारी हो गयी है इस भोझ का क्या होगा दुआओं का पिटारा भरना है खवायिशों का पेट कहाँ भरा है हाथ ख़ाली रहने वाले हैं जहां अगलेContinue reading “Khali haath aaye the, Khali haath jayenge”
I am my friend
सच्चे रिश्ते रस्मों के मौतज नहींमिलने जुलने में कोई रिवाज नहींएक रिश्ता अपने से बनना हैदोस्ती आइने के चहरे से निभाना है
Alive
किस बात का गम हैकिस बात की है ख़ुशीक्यूँ आज आँखें नम हैऔर होंठों पे है हँसी किसका इज़हार करते हैंक्या है जो छुपाते हैंकौनसा सच हैंऔर किसको सच समझ जाते हैं ऐसा मातम क्यूँ हैकिसके जनाज़े पर गए हैं सभीसाँस शायद रुख़ गयीं हैपर ज़िंदा हूँ में अभी
Udaan
ऊँचायीयों से डर लगता है गिरने का खौफ है उड़ने का हुनर, सीखा नहीं गिरने का शोक है क्या फ़रक है कौनसा सही एक उभरता है एक ढलता है दोनों सिरों में डोर तो एक है एक पाने में जुटा है एक खोने में खुश है
ग़लत फ़हमी
ड्रॉइंग रूम में सजी मूरतजो किसी कारीगर कीनायाब कारीगरी थीजिसे मजबूर हो करबेचा था उसनेआज वो मेरी है धूल से लथपथअपने गले परअपनी क़ीमत लटकाएजो कभी दुकान के कोने मेंबेज़ुबान पड़ी थीआज वो मेरी है मोल देकर ख़रीदा हैमालिक बदल गया हैना पूछा इस बेज़ुबान सेना ज़रूरत समझीकिसी और की ज़िंदगी का हिस्सा थीआज वोContinue reading “ग़लत फ़हमी”
Shayad
कुछ लिख देता हूंयूं हीअपने सच्चे झूठे अल्फ़ाज़बस यूं ही तुम्हें पसंद आयातो लगा शायदअच्छा होगा तुमने मानातो लगाशायदसच्चा होगा किसको फर्ककिसको परवाहक्या सचऔर किसका सच पर ये तो सच हैकी एक एहसास जो मेरा थाअब हमारा है इसी सच परयकीन हैइसी भरोसे परये नई मोहिम है कुछ और लिख रहा हूंये सोच करतुम्हे पसंदContinue reading “Shayad”
