Bhul gaya sab kuch

भूलना हैबहुत कुछक्या क्या भुलाओगेये बताओ अगर याद करोगेवो सबतो फिर कैसे भुलाओगेये बताओ हर लम्हा नया हैसाफ़ सुथरा हैइसमें पुराने रंग क्यों भरेंये बताओ ख़ुशियों से भर देंइस लमहें कोआने वाला कल इसमें बसा हैइसे सजाओ ज़िंदा होतो जी लो ख़ुशी सेहर पल ज़िंदगी कालुफ्त उठाओ गहरी नींद में सो रहा हूँशायद सुबह होContinue reading “Bhul gaya sab kuch”

Raat

ढलती शाम सेरोशनी चुरा केअभी तो रात आयी है धीरे से, दबे पाओंअंधेरे की नरम रज़ाई ले केअभी तो रात आयी है थके बदन के लिएनींद का तोहफ़ा ले केअभी तो रात आयी है आँखें हो रहीं है बंदअब मिलेंगे ख़्वाबों सेअभी तो नींद आयी है लेंगे उड़ानइस दुनिया की बंदिशों से परेअभी तो पंखContinue reading “Raat”

Khwabon ka kaphila

ऐसा कौनसा ख़्वाब है जो सच्चा ना लगा ऐसा कौनसा मौक़ा है जो मुमकिन ना लगा पर सचाई और ख़्वाब में शायद नींद खुलने का फ़रक है नींद खुली और आँखें मलि आँखों के मैल के साथ सारे ख़्वाब भी धूल गए दिन की भाग दौड़ में वो मौक़ा भी खो गया हक़ीक़त बनने काContinue reading “Khwabon ka kaphila”

Khwabon ka zayaka

ज़ायक़ा शायदवैसा ही होगाजैसा चखा थाउन महकते ख़्वाबों में बदन की ख़ुशबूमन की महकजुड़ से गए हैंइन सिसकती साँसों में असल और ख़्वाबमें फ़रकथोड़ा धुंधला गया हैइन उलझे ख़यालों में भूल गया हूँक्या सच है क्या ख़्वाब हैमगन हूँ में बसउन साँचे एहसासों में एक निवाला प्यार काशिद्दत से चखा हैअसल का तो पता नहींशायदContinue reading “Khwabon ka zayaka”

Phir ek baar

फिर वही दिनजीना चाहता हूंफिर वही राहों सेगुजरना चाहता हूं हर उस पल को महसूस करना चाहता हूंजैसा था, जैसा हुआबस वैसा ही रखना चाहता हूं हर खुशी और गम के लम्हों कोफिर एक बार चखना चाहता हूं कुछ छोटेकुछ लंबेकदमों के निशान परफिर चलना चाहता हूं कुछ बदलने की ख्वाइश नहींकोई शिकवा कोई शिकायतContinue reading “Phir ek baar”