
ढलती शाम से
रोशनी चुरा के
अभी तो रात आयी है
धीरे से, दबे पाओं
अंधेरे की नरम रज़ाई ले के
अभी तो रात आयी है
थके बदन के लिए
नींद का तोहफ़ा ले के
अभी तो रात आयी है
आँखें हो रहीं है बंद
अब मिलेंगे ख़्वाबों से
अभी तो नींद आयी है
लेंगे उड़ान
इस दुनिया की बंदिशों से परे
अभी तो पंख फैलायें हैं
भूल गया हूँ
की नींद में हूँ
अभी अभी तो समझ आयी है
ख़्वाब और हक़ीक़त ने
मिल के कुछ इस तरह
अभी अभी तो महफ़िल सजाई है
सुबह दूर है
रात लंबी है
वक़्त को नींद अभी तो आयी है
मत उठाओ मुझे
अभी अभी तो सोया हूँ
ख़्वाब अभी अधूरे हैं
अभी तो रात आयी है