
टपकता होगा
आसमानों से
वो पानी का टुकड़ा
किसी की तलाश में
किसी की आस में
कभी मिलती होगी
उसे
वो नर्म घास
कभी गिरता होगा
बेदर्द ज़मीन पर
बस हार के
सच्ची हो जो चाहत
झुलसती विरह की आँच में
वो फिर से तपेगा
भाप बनके उड़ेगा
मिलेगा फिर
उन बादलों से
फिर बरसेगा वो
घनघोर
उसी आसमानों से
वो पानी का टुकड़ा
किसी की तलाश में
किसी की आस में