Pani ka tukda

टपकता होगाआसमानों सेवो पानी का टुकड़ाकिसी की तलाश मेंकिसी की आस में कभी मिलती होगीउसेवो नर्म घासकभी गिरता होगाबेदर्द ज़मीन परबस हार के सच्ची हो जो चाहतझुलसती विरह की आँच मेंवो फिर से तपेगाभाप बनके उड़ेगामिलेगा फिरउन बादलों से फिर बरसेगा वोघनघोरउसी आसमानों सेवो पानी का टुकड़ाकिसी की तलाश मेंकिसी की आस में

Clothes ready to wear people

हो रहे तैयारकपड़ेइंसान पहनने कोधूप मेंसुबहफिर से जीने कोहैं तैयार आज कौन होगाकैसा होगाहर के नाप का एक हैएक घर हैएक इंसान हैजिसकी ज़िंदगी को जीनेहैं तैयार उसकी महकउसकी गंधअपने में पिरोएकभी उसकेजाने के बादमहकने कोहैं तैयार कभी नयाकभी पुरानाउस मौक़े के लिएया किसी की यादहर लम्हेको लिएहैं तैयार आस्तीन मेंछिपाये आंसूख़ुशी केदुख केवो सारीContinue reading “Clothes ready to wear people”

Meri parchai dhoondhta hoon inme

उन ऊँचाइयों से देखा हैज़िंदगी को उड़ते हुएहवाओं का रुख़ जिस तरफ़ थाउसी रुख़ बहते हुए सूरज को ढलते देखा हैडूबते क्षितिज को रंगते हुएजैसा रंग खुद का थाउसी रंग में घुलते हुए पानी को बहते देखा हैठहरे पथरों पर छलाँगे भरते हुएजिस तरफ़ उसका अंत थाउसी समंदर की तरफ़ मदमस्त बहते हुए रोशनी कोContinue reading “Meri parchai dhoondhta hoon inme”

Dhund Hai, Dhoop hai

धुँध हैकी धूप हैसाँझ हैकी रूप हैरूप हैतो ढल जाएगाख़्वाब हैतो फिर आएगामुझे मत उठानामुझे सोने दोमुझे मेरे ख़्वाबों मेंरहने दोधूप मेंधुँध में

Khwabon ka kaphila

ऐसा कौनसा ख़्वाब है जो सच्चा ना लगा ऐसा कौनसा मौक़ा है जो मुमकिन ना लगा पर सचाई और ख़्वाब में शायद नींद खुलने का फ़रक है नींद खुली और आँखें मलि आँखों के मैल के साथ सारे ख़्वाब भी धूल गए दिन की भाग दौड़ में वो मौक़ा भी खो गया हक़ीक़त बनने काContinue reading “Khwabon ka kaphila”

Social Distancing

शायद मुमकिन नहींफिर भी कोशिश कर लेता हैये दिल, समझता ही नहीं है मर्ज़ ऐसा हैकी दूरी हैदिलों की करीबी कुछ कम तो नहीं दूर होफिर भी तुम्हारा साथ हैये भी कुछ कम तो नहीं है

Bliss

इतना सुकून है यहाँहर दिन की दौड़ से दूरकितना सुकून होगा वहाँइन सब से परेजहां तन्हाई मेंअकेलापन नहींखामोशी में जहांउदासी नहींबस दूरदुनिया से अलगख़ुशी से भी परेखुद के आस पासख़ामोशतनहाखुश