शुभकामनाएँहै आपकोआजदिवाली की दीपों से सजीरोशनी से भरीरहे हर शामदिवाली सी नटखट पटाकों सेहँसी के ठहाकों सेभरी हो हर शामदिवाली सी दीयों की आँच सेभस्म हो मन का मैलशुभ हो ये रातदिवाली की शुभकामनाएँहै आपकोरोशनी कीदिवाली की
Tag Archives: Hindi
Ek khoobsurat si yaad
चलोरह जाते हैंइस लम्हे में कहींए ज़िंदगीतू गुज़र जा चलोरह जाते हैंइस मुस्कुराहट में कहींए उदासीतू गुज़र जा चलोबन जाते हैंएक ख़ूबसूरत सी यादए समयतू गुज़र जा बड़ी जल्दी हैए ज़िंदगी तुझेतेरे बेसब्र पैरों तलेकुचले गएफ़ुरसत भरे लम्हेकई ढूँढोगे जब वो ख़ुशीओर वो महकाती हँसीछोड़ा था जहांपाओगे वहीं उस आख़री मोड़ पेउस ढलती शाम कोरुकContinue reading “Ek khoobsurat si yaad”
Ek Aur Baar
एक शहर पुरानायादों से भरा हुआयादों की डोर खींच लायी हैएक बार और हर लम्हा याद आया हैवो मोड़, वो हँसीफिर वही रास्तेएक बार और कहीं निशान मिट गएकहीं अब भी सजावट हैकिसी ने पुकारा हैएक बार और एक खुश लम्हायहीं रह गया थामिल कर हँसे हैंएक बार और ईंटों की ढेरइमारत बनेगीफिर घर बसेगाएकContinue reading “Ek Aur Baar”
Destination wherever (Manzil Kahan)
सुबह कीख़ामोश रास्तों पररोशनी की किरण हूँ में रात कीसोए हुए अंधेरों कीपहली सुबह हूँ मैं ख़्वाबों के अधूरे अल्फ़ाज़ों कीअनकही कहानी हूँ में सफ़र कीअनजान राहों काअकेला राही हूँ मैं मंज़िलों कीपहचान नहीं हैंशायद पहुँच गया हूँ मैं
Khamoshi
मैं ख़ामोश हूँमेरी चीख़ों को आवाज़ों कीज़रूरत नहीं ख़ामोश अल्फ़ाज़ों कोलफ़्ज़ों की बैसाखियों कीज़रूरत नहीं शब्दों में फ़रेब हैखामोशी में नहींबंद लबों कोक़समों कि ज़रूरत नहीं शब्दों में बनावट हैखामोशी में नहींदिल की गहराइयों मेंमन के बदलते मिज़ाज नहीं मैं ख़ामोश हूँमेरी सचाई कोकिसी मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं
Wo mod hi nazar nahin aata
एक अंधेरा भी हैजो रोशन बहुत हैएक खामोशी हैजो कहानी कहे जा रही है मेरे साथ मेरा साया थारात हुई तो खो गया है शायदकल सुबह सुबह मिलेंगे उससेअभी अकेले चल पड़ा हूँ साथ साथ अंधेरा भी चल पड़ा हैऔर वो बातूनी खामोशी भीपूछे बिग़ैर अपने अकेले क़ाफ़िले मेंशामिल हो गया है बातों बातों मेंवक्तContinue reading “Wo mod hi nazar nahin aata”
Nayi dosti
फिर अजनबी हैंमुलाक़ात कामौक़ा ढूँढेंगेजान पहचान काबहाना ढूँढेंगेवो सहमी नज़र,उस मुस्कराहट काइशारा ढूँढेंगेनयी दोस्ती हैमोहब्बत का नयाफ़साना ढूँढेंगे
Dhund Hai, Dhoop hai
धुँध हैकी धूप हैसाँझ हैकी रूप हैरूप हैतो ढल जाएगाख़्वाब हैतो फिर आएगामुझे मत उठानामुझे सोने दोमुझे मेरे ख़्वाबों मेंरहने दोधूप मेंधुँध में
Just want to Flow
बहना है पर किधर जाना उधर है ढलान इधर खारे पानी में जाकर मिल जाना है मेरा हशर वही सही पर आज मुझे बहना है कल का सच पता है आज का सच छिपा सही कुछ आज मुझे कहना है शोर एक और बार सुनना है बस आज मुझे बहना है
Melting Boundaries (Pighalte Dayre)
कुछ दायरेकुछ रस्मों रिवाजमेरी हदें तय किया करती हैं मेरा वजूदमेरा मज़हबमेरी पहचान बताया करती हैं मुझे कहाँ जाना हैमुझे क्या करना हैअक्सर ये बयान करती हैं किनारों में रहकर महफ़ूज़ रहा हूँमुक़र्रर मंज़िल की तरफ़ लाचार बहता रहा हूँअपनी पहचान भूल, खारा हो गया हूँ समंदर मेरी मंज़िल नहींमैं कोई दरिया भी नहींमैं तोContinue reading “Melting Boundaries (Pighalte Dayre)”