Aakhon ka Kasur

ये आँखेंसब देखती हैक़सूर क्या इनका हैमन का शीशा हैजो बिखरा हुआ है कौन सी बातें हैंजो कहें हमजो अछी लगेंशब्दों का ज़ायक़ाकुछ बिगड़ा हुआ है सारा जहां ज़हन में हैक्यूँ फ़िज़ूलजमाने से ख़फ़ा हैंमन का चश्मा हैजो ज़रा पोशिदा है