रात की बात मुझसे हुई खामोश रहे कुछ लम्हे दोनों फिर लंबी बात हुई … डर नहीं लगता, क्या तुमको? उसने पूछा, सहम सहम कर मैं ख़ुद हूँ डरा, और चकित हूँ मुझसे मिलने क्यों आया कोई … फ़िर व्यथा अपनी सुनाई मेरे बारे कुछ पूछा नहीं कई अरसे का बांध भरा था आज अचानकContinue reading “The night spoke”
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Raat ki Maggi
रात की Maggiकुछ भूखकुछ बस यूँ ही कढ़ची घुमातेकरी ढेर सारी बातें कुछ संजीदा, कुछ बस यूँ ही डेढ़ ग्लास पानी मिलानाऔर, थोड़ा instructions से कुछ अलग करना जैसा है, वैसा सही था Carrot और मटर डाल कर उसे बर्बाद करना कोई reason नहीं पेट की नहीं मन की भूक है ज़्यादा कोई खाये elaborateकुछContinue reading “Raat ki Maggi”
Safed Baadal ke patte (leaves of White clouds)
होंगे सफ़ेद बादल के पत्ते मेरे पर मैं ज़मीन से जुड़ा हूँ गुज़रे कई साल पर मैं यहीं पे खड़ा हुआ हूँ ना आसमान मुझपे मौताज़ फिर भी उस यक़ीन पे रुका हूँ की जब बरसेंगे वो बादल तो कहीं, उस से जुड़ जाऊँगा मैं https://mytaleswithin.com/2024/05/10/leaves-of-white-cloud/
Ye Khali Raat
ये ख़ाली रात इंतज़ार से भर गई जब समेटने लगे तो मोहब्बत के सिवा कुछ ना मिला नींद को लेके कहीं दूर चलीं हैं, कुछ फ़िक्र की झुर्रियाँऔर जब मुड के देखा तो रुकी हुई सुइयों के सिवा कुछ ना मिला कदम बड़े हिसाब से उठे लहरों से बच कर ज़िंदगी चली पाओं के निशानContinue reading “Ye Khali Raat”
Carrying the sky
बंधा हुआ हूँ अनगिनत बेड़ियों में फिर भी आसमान उठा रखा है
Wahan Kaphila Milega
कई अल्फ़ाज़ यूँही रह गये खुले आसमान में कहीं बह गए। वहाँ बादलों से बारिश के साथ बरसेंगे उन बूँदों में कहीं शायद अपना क़ाफ़िला मिलेगा
Mere saath chala woh Chand
पुराने गाने सुनते रस्ता चला पेड़, खेत, नादिया पीछे छोड़ चला साथ चली बस हवा कुछ गुनगुनाती अच्छे सफ़र की देती दुआ और चला वो चाँद हर कदम मेरे साथ बादलों से गुज़रता, कुछ मुस्कुराता जानता है वो, शायद मेरे मन की बात
Udta hoon uchayion mein
हाँ नज़र आईवो ज़मीनउड़ते आसमान सेउन बादलों सेसाफ़ साफ़, सब कुछ थोड़ी पहचानीथोड़ी अजनबी सी लगीक्या रखा था नामकिस नाम से थी पहचानहाँ, ऐसा ही था कुछ ज़ुबान पे आते आते वो रह गयाजब पास पहुँचेंगे तो शायदयाद आएगाहर एक रस्ता, हर एक मंज़िलऔर वो सब कुछ फिर सोचेंगेउस ज़मीन पर रखें पाओंकी फिर सेContinue reading “Udta hoon uchayion mein”
Morning Chai
ये चाय की प्याली समेटे है अपने में पूरी सुबह वो सुबह की ताजगीवो सौंधी सी महक और वो अपना ज़ायक़ा और उसमें घुली यादेंहै सुबह खूबसूरत जैसे ये चाय की प्याली
House of Wood
पेड़ के तने पर है एक काठ का घर है घर जैसा पर अपना नहीं कुछ तिनकों से सजाना होगा है सुंदर पर अभी अपना नहीं मोहब्बत से रंगना होगा ख़्वाहिशों को सच बनाना होगा तब होगा सच, अपना कल सिर्फ़ रहेगा एक सपना नहीं नये पंख उड़ेंगे अपना आसमान ढूँढेंगे होगी नई शुरुआत उनContinue reading “House of Wood”
