हूँ अलग है मुझे रिझाना है सृष्टि को आगे बढ़ाना है रंग अलगसब पसंद करते हैं शायद इसीलिए मुझे तोड़ लेते हैं दिखता हूँ,क्योंकि अलग हूँअगर वो हरा ना होता तो मैं लाल, कैसे होता मेरा लाल रंग वो हरा, वो नीला,सावन की बारिश में है सब कुछ सबसे मिला
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Morning Chai
ये चाय की प्याली समेटे है अपने में पूरी सुबह वो सुबह की ताजगीवो सौंधी सी महक और वो अपना ज़ायक़ा और उसमें घुली यादेंहै सुबह खूबसूरत जैसे ये चाय की प्याली
Dhuan
है धुआँये जहांउड़ता हुआबहता हवाओं मेंफिर मिलता हैइन फ़िज़ाओं में कहाँउस आग से निकलाउस आग में दफ़नतू पहले था कहाँऔर कल होगा कहाँना तुझे खबरना कोई ग़ुमाये जहांहै बस धुआँ
Kai saal guzar gaye
उसी मंदिर की घास पर बैठे,नंगे पाओं।सर झुकाए इबादत मेंकई साल गुज़र गए । छोटे पाओं बड़े हो गयेदिल मगर सिकुड़ गये।दिल खोल के हंसेकई साल गुज़र गये । फ़र्श साफ़ सुथरा हैशायद पहले से महँगा।नंगे पाओं चलेकई साल गुज़र गये । है रास्ता वहीकदम चले सोच समझ केबेख़ौफ़ दौड़ेकई साल गुज़र गये । हैContinue reading “Kai saal guzar gaye”
Tera mera rang
रंग होतुमसे भरागुलाबी, पीला और लाल संग होअपना हमेशाहर पल, हर साँस, हर हाल ढंग होतुममें ढलाबस तुम्हारा एहसास, तुम्हारा ख़याल भंग होसब बैरबस हो रंग, ना कोई मलाल रंग होना तेरा, ना मेराबस गुलाबी, पीला और लाल
kyun #Why
क्यों ये कैसा सवाल है इसका क्या फ़ायदा है क्यों पूछें है ये सब ऐसा क्या क़ायदा है क्यों याद करें वो जो हो गया है क्यों ढूँढें जो खो गया है क्यों कहें मन की किसने सुना है क्यों मायूस हों हुआ ही क्या है क्यों ये कैसा सवाल है इसके कई जवाब हैContinue reading “kyun #Why”
Diwali ki Shubkamnayen
शुभकामनाएँहै आपकोआजदिवाली की दीपों से सजीरोशनी से भरीरहे हर शामदिवाली सी नटखट पटाकों सेहँसी के ठहाकों सेभरी हो हर शामदिवाली सी दीयों की आँच सेभस्म हो मन का मैलशुभ हो ये रातदिवाली की शुभकामनाएँहै आपकोरोशनी कीदिवाली की
Ek khoobsurat si yaad
चलोरह जाते हैंइस लम्हे में कहींए ज़िंदगीतू गुज़र जा चलोरह जाते हैंइस मुस्कुराहट में कहींए उदासीतू गुज़र जा चलोबन जाते हैंएक ख़ूबसूरत सी यादए समयतू गुज़र जा बड़ी जल्दी हैए ज़िंदगी तुझेतेरे बेसब्र पैरों तलेकुचले गएफ़ुरसत भरे लम्हेकई ढूँढोगे जब वो ख़ुशीओर वो महकाती हँसीछोड़ा था जहांपाओगे वहीं उस आख़री मोड़ पेउस ढलती शाम कोरुकContinue reading “Ek khoobsurat si yaad”
Ek Aur Baar
एक शहर पुरानायादों से भरा हुआयादों की डोर खींच लायी हैएक बार और हर लम्हा याद आया हैवो मोड़, वो हँसीफिर वही रास्तेएक बार और कहीं निशान मिट गएकहीं अब भी सजावट हैकिसी ने पुकारा हैएक बार और एक खुश लम्हायहीं रह गया थामिल कर हँसे हैंएक बार और ईंटों की ढेरइमारत बनेगीफिर घर बसेगाएकContinue reading “Ek Aur Baar”
Destination wherever (Manzil Kahan)
सुबह कीख़ामोश रास्तों पररोशनी की किरण हूँ में रात कीसोए हुए अंधेरों कीपहली सुबह हूँ मैं ख़्वाबों के अधूरे अल्फ़ाज़ों कीअनकही कहानी हूँ में सफ़र कीअनजान राहों काअकेला राही हूँ मैं मंज़िलों कीपहचान नहीं हैंशायद पहुँच गया हूँ मैं
