
उसी मंदिर की घास पर बैठे,
नंगे पाओं।
सर झुकाए इबादत में
कई साल गुज़र गए ।
छोटे पाओं बड़े हो गये
दिल मगर सिकुड़ गये।
दिल खोल के हंसे
कई साल गुज़र गये ।
फ़र्श साफ़ सुथरा है
शायद पहले से महँगा।
नंगे पाओं चले
कई साल गुज़र गये ।
है रास्ता वही
कदम चले सोच समझ के
बेख़ौफ़ दौड़े
कई साल गुज़र गये ।
है पोशाक सफेद
दिल उतना पाक नहीं ।
मिट्टी में खेले
कई साल गुज़र गये ।
है मूर्थी वही
वैसे ही ख़ामोश ।
ख़ुद से बातें किए
कई साल गुज़र गये ।