Yes Wahin (हाँ वहीं)

हाँजाना हैवहाँतुम हो जहांऔरहो वहाँबसअपनावो गानाजो सुनाई देसिर्फ़ हमेंजो नाछेड़ेमखमली तनहाइयों कोजो हम ने ओड रखा हैहाँवहाँ सो जाना हैजहांतुम्हारी धड़कन होऔरतनहाई

Is there something more serene? Aur Sukun Kya Hai

एक प्यारा साथीअपना सुना हुआ सा गानाथोड़ी सी हवाधीरे से चलते लम्हेऔर सफ़र क्या है ठंडी खामोशीथोड़ी गरम साँसेना मौक़े की तलाशना कोई मायूसीऔर हासिल क्या है कुछ फ़ुरसतकुछ धूपठंडी घासऔर नंगे पाँवऔर सुकून क्या है

Diwali ki Shubkamnayen

शुभकामनाएँहै आपकोआजदिवाली की दीपों से सजीरोशनी से भरीरहे हर शामदिवाली सी नटखट पटाकों सेहँसी के ठहाकों सेभरी हो हर शामदिवाली सी दीयों की आँच सेभस्म हो मन का मैलशुभ हो ये रातदिवाली की शुभकामनाएँहै आपकोरोशनी कीदिवाली की

Ek Aur Baar

एक शहर पुरानायादों से भरा हुआयादों की डोर खींच लायी हैएक बार और हर लम्हा याद आया हैवो मोड़, वो हँसीफिर वही रास्तेएक बार और कहीं निशान मिट गएकहीं अब भी सजावट हैकिसी ने पुकारा हैएक बार और एक खुश लम्हायहीं रह गया थामिल कर हँसे हैंएक बार और ईंटों की ढेरइमारत बनेगीफिर घर बसेगाएकContinue reading “Ek Aur Baar”

Khamosh tare

रात की चहल पहल मेंतारे ख़ामोश थेकुछ आवाज़ ना हो जाएबादल, चुपचाप चल रहे थेचाँद आधा चमक रहा थाशायद कुछ छुपाए हुए थावो कदम साथ साथ चल रहे थेऔर धड़कन भीकुछ ना कहाफिर भी कहानी कह गएवो गूंजती धड़कनऔर वो ख़ामोश तारे

Badlon ke Pare

बादलों के परे हूँ मैंशायदआसमान हूँ मैं ख़ुशियों की हवाओं मेंहै मेरी उड़ानफिर भी परेशान हूँ मैं अपने आप को ढूँढने निकला हूँअपने आप सेअनजान हूँ मैं फ़िज़ाओं में क़ैद हूँहाँ ख़ुदा नहीं हूँइंसान हूँ मैं

Destination wherever (Manzil Kahan)

सुबह कीख़ामोश रास्तों पररोशनी की किरण हूँ में रात कीसोए हुए अंधेरों कीपहली सुबह हूँ मैं ख़्वाबों के अधूरे अल्फ़ाज़ों कीअनकही कहानी हूँ में सफ़र कीअनजान राहों काअकेला राही हूँ मैं मंज़िलों कीपहचान नहीं हैंशायद पहुँच गया हूँ मैं

Khamoshi

मैं ख़ामोश हूँमेरी चीख़ों को आवाज़ों कीज़रूरत नहीं ख़ामोश अल्फ़ाज़ों कोलफ़्ज़ों की बैसाखियों कीज़रूरत नहीं शब्दों में फ़रेब हैखामोशी में नहींबंद लबों कोक़समों कि ज़रूरत नहीं शब्दों में बनावट हैखामोशी में नहींदिल की गहराइयों मेंमन के बदलते मिज़ाज नहीं मैं ख़ामोश हूँमेरी सचाई कोकिसी मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं

Wo mod hi nazar nahin aata

एक अंधेरा भी हैजो रोशन बहुत हैएक खामोशी हैजो कहानी कहे जा रही है मेरे साथ मेरा साया थारात हुई तो खो गया है शायदकल सुबह सुबह मिलेंगे उससेअभी अकेले चल पड़ा हूँ साथ साथ अंधेरा भी चल पड़ा हैऔर वो बातूनी खामोशी भीपूछे बिग़ैर अपने अकेले क़ाफ़िले मेंशामिल हो गया है बातों बातों मेंवक्तContinue reading “Wo mod hi nazar nahin aata”