एक शहर पुरानायादों से भरा हुआयादों की डोर खींच लायी हैएक बार और हर लम्हा याद आया हैवो मोड़, वो हँसीफिर वही रास्तेएक बार और कहीं निशान मिट गएकहीं अब भी सजावट हैकिसी ने पुकारा हैएक बार और एक खुश लम्हायहीं रह गया थामिल कर हँसे हैंएक बार और ईंटों की ढेरइमारत बनेगीफिर घर बसेगाएकContinue reading “Ek Aur Baar”