Kuch der aur. Sona chahta hoon

कुछ पढ़ना नहीं लिखना चाहता हूँ  और थोड़ी देर सोना चाहता हूँ  … अगर रास्ते में हूँ तुम्हारे  तो सरका दो  या बैठो मेरे साथ  चुप चाप, इत्मिनान से  … वक्त को भरना नहीं  गुज़रते हुए देखना चाहता हूँ  बारिश से बचना नहीं  जी भर के भीगना चाहता हूँ  … अगर कुछ छींटे तुमपर गिरContinue reading “Kuch der aur. Sona chahta hoon”