एक और एज़फा सिफर हो गया

डायरी में काम लिख करपूरा दिन भर दियालो एक दिन और गुजर गयाएक और इज़ाफ़ा सिफर हो गया ये लिस्ट लंबी है अभी काम बाकी है वक्त का हर लम्हा भर सा गया हैएक और दिन इसी होड मेंबिसर हो गया रस्ता लंबा हैपेड़ों का साया पीछे रह गयारुकने का वक्त मुकर्रर नहीं कियाहर नज़ाराContinue reading “एक और एज़फा सिफर हो गया”

हज़ारों ख्वाहिशें

इतवार तो कैलेंडर पे लिखा शब्द है उसका इतना इंतज़ार क्यूँ हफ्ता पड़ा है जीने को आज से इतनी मायूसी क्यूँ शायद फुर्सत का इंतज़ार है पर किस बात से फुर्सत? इसकी मालुमात नहीं क्या पता किस आराम कि ख्वाहिश है और किस आराम से आज कल अछे तालुकात नहीं कभी सोने कि कोशिश मेंContinue reading “हज़ारों ख्वाहिशें”