
मैं ख़ामोश हूँ
मेरी चीख़ों को आवाज़ों की
ज़रूरत नहीं
ख़ामोश अल्फ़ाज़ों को
लफ़्ज़ों की बैसाखियों की
ज़रूरत नहीं
शब्दों में फ़रेब है
खामोशी में नहीं
बंद लबों को
क़समों कि ज़रूरत नहीं
शब्दों में बनावट है
खामोशी में नहीं
दिल की गहराइयों में
मन के बदलते मिज़ाज नहीं
मैं ख़ामोश हूँ
मेरी सचाई को
किसी मंज़ूरी की ज़रूरत नहीं
ऐसा कोई जहां हो
खामोशी की जुबां हो।
दिलों के वो जज़्बात
नि: शब्दता से बयां हो।।
तर्क ना वितर्क हो,
क्षीण बुद्धिभ्रम में लीन
ये हमारी काया न हो।।
You never fail to inspire 🙏🏻🙏🏻
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Thanks kriti 😊🙏
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Wow
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………..it’s better to remain silent & smile
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The best 👌🏻😊
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Waah!
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Shukriya 🙂🙏
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