पेड़ के तने पर
है एक काठ का घर
है घर जैसा
पर अपना नहीं
कुछ तिनकों से
सजाना होगा
है सुंदर
पर अभी अपना नहीं
मोहब्बत से रंगना होगा
ख़्वाहिशों को सच बनाना होगा
तब होगा सच, अपना कल
सिर्फ़ रहेगा एक सपना नहीं
नये पंख उड़ेंगे
अपना आसमान ढूँढेंगे
होगी नई शुरुआत
उन हवाओं में कहीं
पेड़ पर कीलों से टंगा
ये घर
होगा जब यादों से सजा
होगा ये घर, अपना तभी
पेड़ के तने पर
है एक काट घर
उम्मीदों से भरा, सपनों से सजा
होगा अपना घरौंदा कभी
