Wo mod hi nazar nahin aata

एक अंधेरा भी है
जो रोशन बहुत है
एक खामोशी है
जो कहानी कहे जा रही है

मेरे साथ मेरा साया था
रात हुई तो खो गया है शायद
कल सुबह सुबह मिलेंगे उससे
अभी अकेले चल पड़ा हूँ

साथ साथ अंधेरा भी चल पड़ा है
और वो बातूनी खामोशी भी
पूछे बिग़ैर अपने अकेले क़ाफ़िले में
शामिल हो गया है

बातों बातों में
वक्त का पता ना चला
शायद मेरे साये के साथ
रुक गया था वहीं

अब जब सुबह हुई
तो दोनो, साथ मिलने आए हैं
दिन भर की दौड़ का
एहसास साथ लाये हैं

मैंने अपने रात के साथियों से पूछा
मेरे साथ चलोगे
पर वो वहीं खड़े रहे
मेरे सुकून के साथ

अंधेरे और खामोशी को
फिर मिलने का वादा किया
और घड़ी की सूयियों के साथ
मैंने अपने आप को खो दिया

शाम होने को है
इंतज़ार करते होंगे वो मेरा
उस मोड़ पे जहां छोड़ा था
पर में खो गया हूँ

वो मोड़ ही नहीं नज़र आता
जहां छोड़ा था अपने सुकून को
कई दिनों से ढूँढ रहा हूँ
शायद इसी लिए दौड़ रहा हूँ

Published by Echoes of the soul

I am a dreamer I weave tales in my mind I am connected to you through these words And through this screen across the virtual world

3 thoughts on “Wo mod hi nazar nahin aata

  1. एक बार को यू होगा,

    थोड़ा सा सुकून होगा

    ना दिलमे कसक होगी,

    ना सर पे जूनून होगा

    वो मोड़ यहीं कहीं

    अंतर्मन में छिपा होगा ✨✨

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