Adhuri Tasveer

तस्वीर बनी
थोड़ी अधूरी
शायद कोई रंग रह गया
जो मेरे पास था ही नहीं
उन्हें ढूँढने निकला हूँ

सुबह की घास में कुछ
समंदर सा हरा
ढलती साँझ में
वो मायूस लाल रंग

वो ऊँचे आसमान में
वो गहरा नीला
वो हस्ते कमल में
मुस्कुराता हुआ पीला

वो टूटते लहर में
मैला सा सफ़ेद
और उस पिघलती बर्फ़ वाला
चमकीला सफ़ेद

हर अनोखा रंग समेट कर
वहाँ पहुँचा मैं
जहां सतरंगी इंद्रधनुष का झरना
धरती पर छलक रहा है

उन खुश रंगों में
नहा आया हूँ
समेटे रंग सारे
उसी झरने में डाल आया हूँ

कुछ ग़ुस्ताख़ बूँदें
मेरी तस्वीर पर गिरी
वो मेरी तस्वीर
अब कुछ पूरी सी लग रही है

Published by Echoes of the soul

I am a dreamer I weave tales in my mind I am connected to you through these words And through this screen across the virtual world

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