Khamosh tare

रात की चहल पहल मेंतारे ख़ामोश थेकुछ आवाज़ ना हो जाएबादल, चुपचाप चल रहे थेचाँद आधा चमक रहा थाशायद कुछ छुपाए हुए थावो कदम साथ साथ चल रहे थेऔर धड़कन भीकुछ ना कहाफिर भी कहानी कह गएवो गूंजती धड़कनऔर वो ख़ामोश तारे