Unbridled Laughter बेफ़िक्र बिंदास हँसी

होंठों से आँखो तक पहुँचती
फिर आयी वो हँसी
बेफ़िक्र बिन्दास
वही ठहाकों वाली हँसी

दोस्तों की बातों में
पुराने लम्हे फ़िर ताज़ा हुए
कुछ क़िस्से जो याद थे
कुछ चुपचाप भुलाए हुए

हंसते हंसते शायद
ग़ुस्ताख़ आँखें भर आयी
कुछ देर जैसे अनबुलायी
चुप्पी सी छागयी

अपने ख़यालों में चुपचाप
सबने अपनी ज़िंदगी फिर जी ली
खामोशी ने सबकी कहानी
चीक चीक के सुना दी

स्क्रीन से आँख हठी तो
बंद खिड़कियों का अहसास फिर लौट आया है
मेरे ख़ाली कमरे की ख़ामोशी में
हँसी की ठहाकों ने हुड़दंग मचाया है

शर्मिंदा खामोशी से
उस लतीफ़ा ने बचाया है
दूर बैठे दोस्तों को
अपने कम्प्यूटर की स्क्रीन पे पाया है

आज खुल के बेफ़िक्र
फिर से हंस लिया है
उन ख़ुशी के लमहों को
एक बार फ़िर जी भर के जी लिया है

Published by Echoes of the soul

I am a dreamer I weave tales in my mind I am connected to you through these words And through this screen across the virtual world

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