गीले घास पर पड़े जब नंगे पैर लगा जैसे धरती से जुड़ गया हूँ ओस की ठंडक जैसे मुझमें घुलने लगी भीनी भीनी सी सुबह की धूप भी आसमानों से जैसे उसी वक़्त आ पहुँची उसकी गर्माहट कुछ नया एहसास लेके आयी है खून के सात घुल कर दिलों की धड़कन और साँसों में समायीContinue reading “The wet grass and the feet of sun”
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Am I right
I am holding backI am right…I thinkOr am I?
