किसी ने की कोशिशदो कदम चलने कीउस नुक्कड़ पर फिर से मिलने कीकोई कदम पहुँचे ही नहीं किसी ने की कोशिशलिखे ख़त को पड़ने कीपन्नो पे महके अल्फ़ाज़ समझने कीकुछ ख़त लिफ़ाफ़ों से निकले नहीं किसी ने की कोशिशदबी आवाज़ को सुनने कीअनकहे लफ़्ज़ों को समझने कीकुछ शोर अनसुने ही रहे किसी को सुनाई दियाकिसीContinue reading “Koshish”