किसी ने की कोशिश
दो कदम चलने की
उस नुक्कड़ पर फिर से मिलने की
कोई कदम पहुँचे ही नहीं
किसी ने की कोशिश
लिखे ख़त को पड़ने की
पन्नो पे महके अल्फ़ाज़ समझने की
कुछ ख़त लिफ़ाफ़ों से निकले नहीं
किसी ने की कोशिश
दबी आवाज़ को सुनने की
अनकहे लफ़्ज़ों को समझने की
कुछ शोर अनसुने ही रहे
किसी को सुनाई दिया
किसी से हुई मुलाक़ात
किसी को आया समझ
किसी की नियत ही नहीं