मेरी हस्ती का है रोशनी का दायरा रोशनी से लिपटा अंदर, साये से भरा रोका है मैंने रोशनी को नादान, उसके सामने खड़ातिनका उस रोशनी में रोक कर समझूँ अपने को बड़ाना हूँ मैं तो हो सिर्फ़ रोशनी पहचान जाऊँ जब अपनी असल कहानी नयी सुबह की भोर में दायरा सिकुड़ जाएगा बस रोशनी होगीसायाContinue reading “Roshni ka Dayara “Boundaries of Light””
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