Ek sham guzri khushi ke saath

एक शाम गुज़रीसाथ ख़ुशी केबहुत हंसेठहाके लगा के लायी एक तोहफ़ाएक मुस्कुराहटएक हँसीख़ुशी अपने आँचल में छिपा के कई बातें कहीकुछ उसकी सुनीकहा सिर्फ़ जो अच्छा लगेबाक़ी सब मन में छिपा के गरम हाथों से छुआदिलों की गहराइयों कोबैठे साथ साथ जोहाथों में उसका हाथ लेके एक नमी सी महसूस कीमुस्कुराहट के पीछेग़म की परछाईंContinue reading “Ek sham guzri khushi ke saath”