Ek sham guzri khushi ke saath

एक शाम गुज़री
साथ ख़ुशी के
बहुत हंसे
ठहाके लगा के

लायी एक तोहफ़ा
एक मुस्कुराहट
एक हँसी
ख़ुशी अपने आँचल में छिपा के

कई बातें कही
कुछ उसकी सुनी
कहा सिर्फ़ जो अच्छा लगे
बाक़ी सब मन में छिपा के

गरम हाथों से छुआ
दिलों की गहराइयों को
बैठे साथ साथ जो
हाथों में उसका हाथ लेके

एक नमी सी महसूस की
मुस्कुराहट के पीछे
ग़म की परछाईं दिखाई दी
जाने जो लगी, ख़ुशी यूँ मूड के

एक शाम गुज़री
साथ ख़ुशी के
बहुत हंसे
अपना ग़म छिपा के

Published by Echoes of the soul

I am a dreamer I weave tales in my mind I am connected to you through these words through this screen across the virtual world I and my tales within

5 thoughts on “Ek sham guzri khushi ke saath

  1. समेट कर गम को
    मुस्कुराहट के पशमीना में
    गुज़री वो शाम
    खुशियों को मनाने में..

    Beautifully worded and expressed 🌼🌼

    Liked by 1 person

Leave a comment