
एक शाम गुज़री
साथ ख़ुशी के
बहुत हंसे
ठहाके लगा के
लायी एक तोहफ़ा
एक मुस्कुराहट
एक हँसी
ख़ुशी अपने आँचल में छिपा के
कई बातें कही
कुछ उसकी सुनी
कहा सिर्फ़ जो अच्छा लगे
बाक़ी सब मन में छिपा के
गरम हाथों से छुआ
दिलों की गहराइयों को
बैठे साथ साथ जो
हाथों में उसका हाथ लेके
एक नमी सी महसूस की
मुस्कुराहट के पीछे
ग़म की परछाईं दिखाई दी
जाने जो लगी, ख़ुशी यूँ मूड के
एक शाम गुज़री
साथ ख़ुशी के
बहुत हंसे
अपना ग़म छिपा के
समेट कर गम को
मुस्कुराहट के पशमीना में
गुज़री वो शाम
खुशियों को मनाने में..
Beautifully worded and expressed 🌼🌼
LikeLiked by 1 person
फिर सोचा
ख़ुशी को क्या मनाना
चलो खुद ही
ख़ुशी बन जाएँ
LikeLiked by 1 person
Beautifully expressed 👌
LikeLiked by 1 person
अतिसुन्दर। गम छोड़कर खुश करना ही खुशी ढूंढना है।
LikeLiked by 1 person
बोहत शुक्रिया। 🙏🙏🙏
LikeLike