कौन सा बोझलिए चलते हैंकंधों पेकभी दिलों में साथ चलता दरिया हैछलकता साफ़ पानी हैचलो थोड़ा रुक जाएँकुछ देर ही सही वो सर पर रखाजो भारी बोझ हैकुछ देरउतार दें ज़मीन पर फिर सोचाकिसने देखा हैइस दरिया मेंचलो बहा दें और फिर बैठेंकुछ देर किनारे पेदेखें उस मैल कोघुलते हुए, बहते हुए और जब होContinue reading “lenge udaan, Nange Paon”