किस बात का गम है
किस बात की है ख़ुशी
क्यूँ आज आँखें नम है
और होंठों पे है हँसी
किसका इज़हार करते हैं
क्या है जो छुपाते हैं
कौनसा सच हैं
और किसको सच समझ जाते हैं
ऐसा मातम क्यूँ है
किसके जनाज़े पर गए हैं सभी
साँस शायद रुख़ गयीं है
पर ज़िंदा हूँ में अभी