तेरी मौत का
जश्न बड़ा आलीशान है
ए आदत
ये तुझसे मेरी आखरी मुलाकात है
गहरी नींद में
सो रहा था हैवान
वहीं नींद में
गला घोंट आया हूँ
आज जब से जगा हूँ
सब कुछ बदला सा है
पाऊँ ज़मीन पर नहीं
आज मन कुछ हल्का सा है
बहुत खाया
अब भूक नहीं
पहुँच गया हूँ
अब कोई चूक नहीं
नई सुबह है
नई पहचान है
ए आदत, तेरी मौत का जश्न
बड़ा आलीशान है

