
ड्रॉइंग रूम में सजी हर चीज़
जो किसी कारीगर की
नायाब कारीगरी थी
जिसे मजबूर हो कर
बेचा गया था
जो कभी दुकान के कोने में
धूल से लथपथ
अपने गले में
अपनी क़ीमत लटकाए
बेज़ुबान पड़े थे
आज मेरे घर की रौनक़ है
मोल दिया है
अब वो सब मेरे हैं
शायद ये एहसास
उन चीजों को भी होगा
ऐसी मेरी सोच है
ऐसा मेरा यक़ीन है
ऐसा मेरा भ्रम है