लो आगया छुट्टी का दिन
लगता दूर था महीने पहले
जैसे कभी नहीं मिलेंगे
इस दिन से, कई दिनों तक
कई अरमान बुने थे
ये करेंगे
उनसे मिलेंगे
देर तक बातें करेंगे
पर ये समय है कि मानता नहीं
रेंगता, कभी भागता
बस चलता रहता है
कुछ पल लगा
थोडा और जी लें
कुछ पल को, थोड़ा रोक लें
ऐसी उम्मीद, उम्मीद ही रह गई
कुछ अरमान पूरे हुए
कुछ रह गए
समय चलता रहा
वक्त गुज़र गया
अब नई तारिक़ का आसरा है
चर्चा उन दिनों का है
फिर मौका आयेगा
वो दिन आज दूर है
पर जल्द ही आएगा
क्योंकि वक्त है
गुज़र जाएगा